शिकायत कर्ता का दावा वारको सिटी में बने मकानों पर चल सकता है बुल्डोज़र, काॅलोनीनाईज़र की गलती का खामयाजा भुगतेंगे ग्राहक। निमयों के विरूद्ध निर्माण,
नगर पालिका के जांच दल ने रिर्पाट में कहा
नागदा
शहर कि अब तक की सबसे बडी आवासीय काॅलोनी वारको सिटी जिसे वैध समझा जा रहा था वह भी एक जांच में अवैध साबीत हो गयी है। वारको सीटी के निर्माताओं ने कई नियमों का पालन नहीं किया और इसमें इनका बखुबी साथ निभाया सरकारी अफसरों ने। वारको सीटी अवैध है इस बात का खुलासा नगर पालिका की जांच में हुआ है। काॅलोनी की यह जांच काॅलोनी सेल उज्जैन से आए एक आदेश के बाद नागदा नगर पालिका ने टीम का गठन कर करवायी है। जांच दल ने पाया कि काॅलोनीनाईज़र ने स्वीकृत नक्षे के अनुसार निर्माण न करते हुए मनमाना निर्माणा किया है जो कि अवैध है। शहर में अवैध काॅलोनीनाईज़रों पर हुई कार्यवाही के बाद से लोग वारको सीटी में अपने सपनों का आशियाना बसाने का ख़्वाब संजो रहे थे मगर अब वारको सीटी के खिलाफ जांच दल ने जो रिपोर्ट सौंपी है उससे साफ है कि भविष्य में काॅलोनी अवैध करार दी जा सकती है हालांकि शिकायतकर्ता गौतम जैन ने दावा किया है कि वारको सीटी पूर्ण रूप से अवैध है। और भविष्य में वारको सीटी में हुए तमाम निर्माण पर बुल्डोज़र चल सकता है।
जांच दल ने यह कहा अपनी रिपोर्ट में
नगर पालिका नागदा जो जांच दल गठित किया था उसने अपनी रिपोर्ट 11 जनवरी को सौंप दी जिसमें कहा बताया गया है कि काॅलोनीनाईजर ने जिस जगह पर बगीचा होना बताया है वहां पर पावर ग्रीड का निर्माण किया गया है। गरीब वर्ग के लिए आरक्षित भूखंडों पर भी परीवर्तीत कर भूखंड गलत तरीके से बेचे गए। काॅलोनीनाईज़र ने ड्रेनेज सिस्टम सहीत सडक निर्माण लाईट कि जगह का निर्माण भी नियमानुसार नहीं किया है।
इस तरह कि एक जांच रिपोर्ट जांच दल ने उज्जैन काॅलोनी सेल विभाग में जमा कर दी हैं। यह जांच 6 सदस्यों के एक दल ने कि है जिसमें इंजी. जीएल गुप्ता, शाहीद मिर्जा, निलेश पंचोली, बाबूलाल मीणा, निलेश रघुवंशी, रईस कुरैशी शामिल थे।
वारको सीटी के भूखंडों का नामांतरण नहीं करती नगर पालिका
बता दें की वारको सीटी में जिन प्लाॅट धारकों ने प्लाॅट खरीदे हैं उनके नामांतरणों पर रोक लगी हुई इसके अलावा भवन निर्माण अनुमति भी नहीं मिलती है। यदि कोई जैसे तैसे भवन बना भी ले तो उसे ना विद्युत कनेक्शन मिलता है ना ही न ही पीने के पानी के लिए नल कनेक्शन।